Home / NATION / राजस्थान में बढ़ी सियासी उठापटक
राजस्थान में बढ़ी सियासी उठापटक
(Source: India.com)

राजस्थान में बढ़ी सियासी उठापटक

7 जुलाई 2018 को जयपुर के ‘अमरूदों के बाग’ में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘प्रधानमंत्री जनसंवाद’ कार्यक्रम के तहत राजस्थान में चुनावी बिगुल फूंक दिया ।

प्रधानमंत्री मोदी केंद्र व राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के लगभग 2.5 लाख लाभार्थियो से रुबरु हो रहे थे। यह वही लाभार्थी थे, जो केंद्र व राज्य सरकार की 13 योजनाओं में से लाभ पा रहे थे।

प्रधानमंत्री की इस रैली के कई मतलब और कई मायने हैं ,कहते हैं कि ‘सियासत में कभी भी कुछ भी अचानक नहीं होता है’, हर होनी के पीछे एक जबरदस्त अनहोनी छुपी हुई होती है।

यहां भी हाल कुछ ऐसा ही था प्रधानमंत्री की रैली यूं ही नहीं हुई थी, प्रधानमंत्री ने अपनी योजनाओं के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ विपक्ष पर करारा हमला बोला था ।

इस रैली के सियासी नफा नुकसान के बारे में क्या उठापटक हुई ,इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है ,जब उसी दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि सरकार चुनावी फायदे के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है।

राजस्थान में चुनावी राजनीति का आरंभ हो चुका है। राजस्थान में कुल 33 जिले हैं, जिनमें कुल 200 विधानसभा सीटें हैं तथा 25 लोकसभा सीटें हैं ।2013 में देश के राजनीतिक परिवर्तन का क्रम अपने फोन में था और कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर चल रही थी । इसलिए भाजपा ने लगभग 160 सीटों पर जीत हासिल करी थी ,इस बार ऐसा होने की संभावना काफी कम है।

इस बार भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है, इसका अंदाजा राजस्थान की सीट पर हुए उपचुनावों से लगाया जा सकता है । जिसमें भाजपा की करारी हार हुई ,हालांकि उप चुनाव और विधानसभा चुनावों की प्रवृत्ति तथा प्रकृति में जमीन आसमान का अंतर होता है। भाजपा को इस बार जवाब देना होगा।

राजस्थान के ज्वलंत मुद्दों की बात करें तो सचिन पायलट के ट्वीट के मुताबिक भ्रष्टाचार ,गुंडाराज बेरोजगारी असल मुद्दे हैं,पर यह देश के हर भाग के मुद्दे हैं। सचिन पायलट यहां यह भी स्पष्ट नहीं कर पाए हैं, कि वह सत्ता में आने पर इन समस्याओं का निराकरण कैसे करेंगे ? वह यहां यह भी बताने से चूक गए कि 2008 से 2013 के बीच इन समस्याओं का समाधान उन्होंने क्यों नहीं किया ?

भारतीय राजनीति में चुनाव मुद्दों के अलावा धर्म, जाति और क्षेत्र के नाम पर लड़े जाते हैं, तथा जीते भी जाते हैं। यह एक कड़वी सच्चाई है। राजस्थान का भी यही हाल है, राजस्थान के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार राजस्थान का चुनाव राजपूत ,ब्राह्मण और गुर्जर जातियों से प्रभावित रहता है। कांग्रेस का वोट बैंक मुख्यता मुस्लिम और दलित वोट बैंक है।

अशोक गहलोत ओबीसी समाज से आने के कारण ओबीसी वोटों का धुरी करण करने में काफी हद तक कामयाब हो जाते थे । लेकिन इस बार मदन लाल ‘सैनी’ को भाजपा ने मैदान में उतार कर पूरा खेल खराब कर दिया है । यह स्पष्ट भी है कि ऐसे खेल सियासत के बेहद जरूरी खेलों में से एक हैं।

दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा कमर कस चुके हैं। एक दूसरे पर सियासी वार कर रहे हैं ,फिलहाल मोदी की रैली ,शाह के कद और वसुंधरा के पद की वजह से भाजपा का आरंभ प्रचंड दिखाई दे रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इसका कैसे और कब जवाब देती है ?

Comments

Check Also

Tehseen Poonawalla, Pooja Bedi and Geetika Saigal

Tehseen Poonawalla, Pooja Bedi and Geetika Saigal Distributed MBA Awards held in Delhi

Recently, Former big boss contestant Tehseen Poonawalla and Geetika Saigal, Founder of MBA Awards distributed …

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Latest News, Live Breaking News, Today News ...