73 दिनों तक चली संगठनात्मक उठापटक के साथ ही प्रदेश इकाई में मदन लाल सैनी को राजस्थान भाजपा का अध्यक्ष घोषित कर दिया गया है ।
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा नेतृत्व में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर सहमति और असहमति का एक लंबा दौर चल रहा चल रहा था । राजस्थान की राजनीति के विश्लेषकों के मुताबिक मदन लाल सैनी का नाम चुने जाने के पीछे कई कारण हैं ।
उन कारणों में से प्रमुख कारण यह है, कि वर्तमान स्थिति में भाजपा को एक ऐसा चेहरा चाहिए था, जो केंद्रीय नेतृत्व व राज्य नेतृत्व का करीबी हो, उसकी राज्य सरकार में राजनीतिक महत्वकांक्षा ना हो ,संगठन में मजबूत पकड़ रखता हो,जो प्रदेश नेतृत्व को वोट भी दिलवा सके ।
मदन लाल सैनी उन सभी अहर्ताओं को पूरा करते हैं । वह राष्ट्रीय सेवक संघ के सबसे मजबूत वफादार सिपाही हैं । वह अपना जीवन यापन बड़ी ही सादगी से करते हैं। इन सबके अलावा वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो कांग्रेस के ओबीसी कार्ड का जवाब बन सकते हैं ।
राजस्थान चुनाव में तीन जातियां महत्वपूर्ण योगदान देतीं हैं। वह जातियां राजपूत ,ब्राह्मण व जाट हैं । प्रदेश में भाजपा के मुख्य प्रतिद्वंदी पार्टी कांग्रेस हैं । जिसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अशोक गहलोत के बनाए जाने की संभावना है।
गहलोत जाति का होने के कारण कांग्रेस ओबीसी समुदाय का अधिकतर वोट अपनी झोली में ले जाती हैं । इस बार मदन लाल सैनी जो कि माली जाति से आते हैं के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के कारण यही माना जा रहा है, कि कांग्रेस को मिलने वाली ओबीसी समुदाय की वोटें भाजपा की झोली में आ सकती हैं।
चुनाव में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो समय ही बताएगा पर फिलहाल भाजपा ने अपनी सही और सटीक चालों के क्रम में अपनी पहली चाल चल दी है।