कुछ दिन पहले का नितिन गडकरी जी का बयां पढ़ रहा था की एक कमजोर कांग्रेस एक पार्टी के तौर पर ही नहीं अपितु एक विपक्ष के तौर पर भी अपनी भूमिका शायद वर्त्तमान समय में सार्थक कॉर्न में असमर्थ हो रहा है . राहुल गाँधी और उनकी टीम पर अगर गौर करे तो कुछ लकमीया मुख्य रूप से दिखती है !
१ – लीडरशिप क्राइसिस ( नेतृत्व संकट )
जब भी कांग्रेस में लीडरशिप पे सवाल उठा है सभी नेताओ ने मिलकर अपितु इस बात पर मौन होकर मौन स्वीकृति दी जब की मेरा सवाल राहुल गाँधी की कमीओ का आकलन नहीं ये बाटना है की कांग्रेस के नेता बूथ स्तर पर भी युवाओ को जोड़ने में असमर्थ रहे है , आल इंडिया प्रोफेशन कांग्रेस इसका उदहारण है .
२ – कार्य छमता की कमी
राजनीति रचनाओं, संघर्षों और विरोधाभासों का एक खेल है। आज के समय में जब राजनीती एक फुल टाइम प्रोफेशन बन चूका है और थिंक टैंक जिसके पीछे के होमवर्क्स पर काफी भूमिका निहा रहा है ऐसे समय में पार्ट टाइम और सही मुद्दों पर प्रहार के बिना कांग्रेस का सफल होना नामुमकिन सा है .
४ – नव मध्यम वर्ग से जुड़ने में असमर्थ
कांग्रेस शायद नविन माध्यम वर्ग के मुद्दे जैसे सोशल सिक्योरिटी , स्टार्ट अप , सस्ती स्वस्थ सुविधाए , जल एवंम स्वछता , ऊर्जा , शिक्षा ,आजीविका को बढ़ाना जैसे सामाजिक मुद्दों पर जनता से संपर्क स्थापित करने में असमर्थ रही है .
अगर बात की जाए भारतीय जनता पार्टी के युथ विंग युवा मोर्चा की दिन प्रति दिन युवाओ को जोड़ने के नवीन जमीनी माध्यमों पर कार्य कर रहे है न की सिर्फ सोशल मीडिया पर चाहे वो हल में ही हुई खेलो भारत प्रतियोगिता हो या लीगल सेल जो की युवाओ को विधि मदद देने में या किसी अन्य माध्यम में.