जहां एकतरफ देश में तीर्थराज प्रयाग में हो रहे भव्य और दिव्य कुंभ मेले की चर्चा देश सहित दुनिया भर में है, तो वहीं दुसरी और महाभारत कालीन “कुरूक्षेत्र” और आजकल हरियाणा के जींद जिले के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले जींद विधानसभा में उपचुनाव का चुनावी बुखार परवान पर है।
जींद के INLD विधायक डाँ. मिठ्ठा लंबी बिमारी के चलते बीते दिनों निधन होने के कारण उपचुनाव होने हैं।
चुनाव में 28 जनवरी को मतदान होना है। कांग्रेस ने प्रत्याशी के तौर पर रणदीप सुरजेवाला को उतारा है तो वहीं भाजपा ने कृष्ण मिढ्ढा को आजमाया है, और INLD ने उमेद रेढू को टिकट दिया है, साथ ही जेजेपी के युवा प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने ताल ठोकी है।
जींद का उपचुनाव आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से खासा अहम है, क्योंकि लोकसभा चुनाव के ठीक बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं।
भाजपा, कांग्रेस, इनेलो, जेजेपी तमाम राजनैतिक दल इस कंपकपाती सर्दी में चुनाव जीतने के लिए अपना हर हथियार आजमा रहे है।
चौंकाने वाली बात यह है कि सुरजेवाला मौजूदा वक्त में कैथल से विधायक है। ऐसे में सियासी जानकार इसे कांग्रेस पार्टी की कमजोरी बता रहे हैं ।
जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ हरियाणा कांग्रेस के पास नेतृत्व करने वाले चेहरों की कमी है, इसीलिए सुरजेवाला को मैदान में लाना पड़ा है। रणदीप सुरजेवाला के मैदान में उतरने से आशय है राहुल गांधी तक की साख दावं पर है।
सूत्रों के मुताबिक भूपेंद्र हुड्डा की बढ़ती उम्र और दामन पर लगे भष्ट्राचार के आरोपों के चलते नया और राहुल का पसंदीदा चेहरा हरियाणा में उतारना रणनीति का हिस्सा है।
लेकिन सुरजेवाला की राह आसान नहीं है, जानिए क्यों –
1. कैथल छोडकर जींद से चुनाव लडने से जींद के स्थानीय टिकट मांगने वाले नेता और समर्थक खफा हो सकते हैं। ऐसे में सुरजेवाला को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
2. हुड्डा की सरकार में कैबीनेट मंत्री रहते सुरजेवाला पर पद के दुरूपयोग और दबंगई करने के आरोप लगे थे। तब पीड़ित पक्ष ने सीएम से लेकर पीएम तक मदद की गुहार और मामले की जाचं के लिए चिट्ठी लिखी थी। वही यह मामला उन दिनों सुर्खियों में रहा ऐसे में आमजन में भय और नकारात्मक छवि सुरजेवाला को नुकसान पहुंचा सकती है।
3. सूत्रों के मुताबिक हुड्डा परिवार अन्दरखाने सुरजेवाला को चित्त करना चाहता है। लिहाजा भूपेंद्र हुड्डा अपने बेटे दीपेन्द्र हुड्डा की राह आसान करने के लिये भावी कांग्रेस सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर चुके हैं।
बीते दशक से रणदीप सुरजेवाला हरियाणा में लगातार अपने गुट के लोगों को टिकट दिलवाने से लेकर शक्ति प्रदर्शन करते रहे हैं, पार्टी फोरम में सीएम बनने की ताल ठोकते भी नजर आते रहे हैं । ऐसे में पार्टी की आपसी फूट का नुकसान कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ सकता।
4. रणदीप सुरजेवाला राहुल गांधी के करीबी और राष्ट्रीय जिम्मेदारी मिलने से हरियाणा से और स्थानीय लोगों से सम्पर्क कट सा गया था। वहीं कई हरियाणा के कार्यकर्ताओं ने रणदीप के मिलने का समय नहीं देने और भद्दे तरीके से कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के चलते कार्यकर्ताओं की नाराजगी का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
5. सुरजेवाला के राष्ट्रीय नेता होने के कारण देश भर से नेता, समर्थक प्रचार करने हरियाणा आ रहे हैं। ऐसे में बाहरी नेता हरियाणा और कैथल के हालातों और रास्तों से अनजान है, ऐसे में व्यवस्थित प्रचार-प्रसार में बाधा आ रही है। वहीं बाहरी नेताओं को तवज्जो देने से स्थानीय कैथल के कार्यकर्ता और नेता खफा हैं।
ऐसे में हरियाणा के चुनावी चौसर के नतीजे चौंकाने वाले होंगे, पर रणदीप सुरजेवाला की राह भी आसान नहीं है।